Generations of Programming Language In Hindi: प्रोग्रामिंग लैंग्वेज एक माध्यम है कंप्यूटर से अपनी बात कहने का, जिस तरह हम लोगों से हिंदी में या इंग्लिश में अपनी बात कहते है । उसी तरह अगर हमें कंप्यूटर को अपनी कोई बात कहनी हो या अपना कोई काम कराना हो तो उसके लिए हम प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का उपयोग करते है ।
आज हम अपने इस पोस्ट में प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की जनरेशन के बारे में बात करने वाले है । आज हम जानेंगे की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की कितनी पीढ़ी होती है तो चलिए जानते है ।
Table of Contents
प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की पीढ़ी (Generations of Programming Language In Hindi)
Programming languages का विकास चरणबद्ध तरीके से किया गया है। विकास के प्रत्येक चरण ने प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को यूजर के उपयोग के लिए अधिक user-friendly, आसान और अधिक शक्तिशाली बना दिया है।
Programming language के विकास में किए गए सुधार के प्रत्येक चरण को एक पीढ़ी के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। उनकी प्रदर्शन, विश्वसनीयता के संदर्भ में Programming language को पांच अलग-अलग पीढ़ियों में बांटा जा सकता है ।
- First-generation languages (1GL)
- Second-generation languages (2GL)
- Third-generation languages (3GL)
- Fourth-generation languages (4GL)
- Fifth-generation languages (5GL)
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1- पहली पीढ़ी की भाषा (First Generation Language)
पहली पीढ़ी के प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को निम्न-स्तरीय प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (low-level programming language) भी कहा जाता है क्योंकि उनका उपयोग कंप्यूटर सिस्टम को बहुत कम स्तर पर उपयोग करने के लिए किया जाता था, यानी मशीन के स्तर पर ।
मशीन लैंग्वेज को कंप्यूटर सिस्टम की मूल लैंग्वेज के रूप में भी जाना जाता है जो पहली पीढ़ी की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है। मशीन लैंग्वेज में, एक प्रोग्रामर केवल बाइनरी नंबर्स के साथ deals करता है।
पहली पीढ़ी की प्रोग्रामिंग भाषा के लाभ (Benefits of first generation programming language)
- वे translation फ्री हैं मतलब ऐसे translation करने की जरुरत नहीं पड़ती, कंप्यूटर द्वारा सीधे execute किए जा सकता हैं।
- इन भाषाओं में लिखे गए प्रोग्राम कंप्यूटर सिस्टम के CPU द्वारा बहुत तेजी से और कुशलता से execute किए जाते हैं।
- इन भाषाओं में लिखे गए प्रोग्राम मेमोरी का काफी कुशल तरीके से उपयोग करते हैं क्योंकि प्रत्येक बिट डेटा पर नजर रखना संभव है ।
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2- दूसरी पीढ़ी की भाषा (Second Generation language)
दूसरी पीढ़ी की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज भी निम्न-स्तरीय-प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (low-level- programming language) की श्रेणी में आती है। दूसरी पीढ़ी की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में असेंबली लैंग्वेज शामिल होती हैं ।
असेंबली लैंग्वेज में, सांकेतिक नामों का उपयोग opcode और instruction के operand part का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया जाता है।
दूसरी पीढ़ी की प्रोग्रामिंग भाषा के लाभ (Benefits of Second generation programming language)
- पहली पीढ़ी की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज द्वारा विकसित किये गए प्रोग्राम की तुलना में इन भाषाओं द्वारा बनाये गए program को समझना और संशोधित करना आसान है ।
- इन भाषाओं में लिखे गए programs में error की संभावना कम होती है ।
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3- तीसरी पीढ़ी की भाषाएँ (Third generation languages)
तीसरी पीढ़ी की programming languages को पहली और दूसरी पीढ़ी की programming languages की विभिन्न limitations को दूर करने के लिए बनाया गया था। तीसरी और बाद की पीढ़ी की भाषाओं को High-Level Language माना जाता है क्योंकि वे प्रोग्रामर को केवल कंप्यूटर सिस्टम की internal architecture पर विचार किए बिना programs के logic पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम बनाती हैं।
तीसरी पीढ़ी की प्रोग्रामिंग भाषा के लाभ (Benefits of Third generation programming language)
- programs को विकसित करना, सीखना और समझना आसान है।
- चूंकि इन भाषाओं में लिखे गए programs में त्रुटियों की संभावना कम होती है, इसलिए उन्हें बनाए रखना आसान होता है।
- इन भाषाओं में लिखे गए programs को पहली और दूसरी पीढ़ी की भाषा की तुलना में बहुत कम समय में विकसित किया जा सकता है।
- उदाहरण: FORTRAN, ALGOL, COBOL, C ++, C
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4- चौथी पीढ़ी की भाषा (Fourth generation languages)
इस पीढ़ी की programming languages को high-level programming language के रूप में माना जाता है। चौथी पीढ़ी की programming languages को समय, लागत और प्रयास को कम करने के लिए डिजाइन और विकसित किया गया था।
चौथी पीढ़ी की भाषाओं के लाभ (Benefits of Fourth generation programming language)
- ये प्रोग्रामिंग भाषा विभिन्न डेटाबेस को लागू करके डेटा के कुशल उपयोग की अनुमति देती हैं।
- उन्हें विभिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर applications को विकसित करने के लिए लगने वाले समय, लागत और प्रयास को कम करने के लिए किया गया था
- इन भाषाओं में विकसित programs अन्य पीढ़ी की भाषाओं में विकसित programs की तुलना में अत्यधिक पोर्टेबल है।
- Examples: SOL, CSS, coldfusion
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5- पांचवीं पीढ़ी की भाषा (Fifth generation languages)
पाँचवीं पीढ़ी की प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज का उपयोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क में काफी ज्यादा उपयोग किया जाता है ।
पांचवीं पीढ़ी की भाषाओं के लाभ (Benefits of Fifth generation programming language)
- इन भाषाओं का उपयोग डेटाबेस को तेज और कुशल तरीके से query करने के लिए किया जा सकता है।
- भाषा की इस पीढ़ी में, user कंप्यूटर सिस्टम के साथ सरल और आसान तरीके से communicate कर सकता है।
- उदाहरण: mercury, prolog, OPS5
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Conclusion -:
दोस्तों आज के इस पोस्ट में हमने जाना की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की कितनी जनरेशन है और हर जनरेशन में कौन कौन सी लैंग्वेज आती है, तो दोस्तों आशा करता हूँ की आपको मेरी ये पोस्ट Generation of programming language in Hindi पसंद आयी होगी । अगर आपको ये पोस्ट पसंद आयी तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे |
Author Info – Jeetu Sahu -: A Web Developer | Computer Engineer | Passionate about Coding, Competitive Programming and Blogging
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Website info – Masterprogramming.in एक ऐसी वेबसाइट है जिस पर प्रोग्रामिंग भाषा जैसे C language, C++ language, Java language, Python, और Computer fundamental, DBMS, OS, Web Development में HTML, CSS, JavaScript, PHP से संबंधित जानकारियां प्रदान की जाती है ।
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